स्वामी परमात्मा देव ने गीता जयंती के अवसर पर भगवान राम व जटायु के प्रसंग में कहा कि भगवान बहुत दयालु है। अधम पक्षी को भी गोद में लेकर उसकी सेवा की। भगवान का नाम किसी भी भाव से लिया जाए, वह भी मंगल करने वाला होता है। संत समागम व हरि कथा मनुष्य को बहुत दुर्लभ है। मनुष्य सत्संग रूपी सरोवर में भगवान की कृपा के बिना जा नहीं सकता व ना ही सुन सकता है। भगवान जीव पर करुणा करके मानव देह देता है। यह देह तो देवताओं को भी दुर्लभ है। जब तक पुण्य साथ नहीं देता, तब तक सत्संग में मन नहीं लगता, जो लोग तीर्थ करते हैं और तीर्थों में रहते हैं। उनके चरणों में तीर्थों का पुण्य आ जाता है। स्वामी जी ने बताया कि भगवान ने दुर्योधन के छप्पन प्रकार के पकवान त्याग कर विधुर के घर छिलके खाए। बता दें, गीता जयंती के अवसर पर रविवार की सुबह 8:30 बजे गीता की पूजा की जाएगी, 9 बजे गीता के 18 अध्याय होंगे। शनिवार या सोमवार को नगर में शोभायात्रा निकाली जाएगी। कथा में बृजलाल गोयल, गिरधारीलाल, कृष्णलाल, उपाध्यक्ष मोहनलाल गर्ग, कुंदनलाल कालड़ा, मदनलाल, श्यामसुंदर शर्मा सहित अन्य भक्तजन मौजूद थे।
‘जब तक पुण्य साथ नहीं देता, तब तक सत्संग में भी मन नहीं लगता’